बहुत समय से मैं , ब्लॉग से गायब हो गई थी , बजह कुछ खास नहीं , बस यूँ ही मन विरक्त सा हो गया था . आज भी वही रोना रोया जा रहा है , कहीं बलात्कार हो रहे है , कहीं लूट हो रही है , अब , एक महिला खिलाडी को रेल से फैंक दिया गया , बेचारी पैर भी गवां बैठी , लेकिन सरकार ने कह दिया - आत्म हत्या का केस है .
लाखों करोड़ों का घोटाला करने वाले लोग , अब जनता के सामने उल्लू बनाये जा रहे हैं क्योंकि जनता हिसाब मांगने लगी है .एक दिन था जब , बाबा के कारनामों को फर्जी कहा जा रहा था , अब जब , बेचारे समाधिस्थ हो गए तब उनका गुणगान करते नहीं अघा रहे हैं , पूरा देश ही शोक मग्न हो गया , अभी तक कोई चर्चा भी नहीं थी . हम जाने कब सुधर पाएंगे ?
करोड़ों के राज पाट को सभांलने के लिए अब , उत्तराधिकारी खोजा जा रहा है , लेकिन एक अपाहिज लड़की के लिए सरकार के पास सुरक्षा भी नहीं है , आज सब कुछ पैसे से तौला जा रहा है , राजनीति करने वाले सभी मतभेदों को भुलाकर भाग दौड़ कर रहे हैं , एक दिन मैं करोडपति बनने का सपना देखने वाले अपहरण करने वाले बच्चों को उठा रहे हैं , नाबालिग बेटियां हवस का शिकार बने जा रहीं हैं , कुछ भी तो नहीं बदला ?
सब कुछ यथावत है . पी एम् साब !!! अब तो एक नज़र डालिए , आपके राज्य मैं कितने लोग भूखे -नंगे हैं , अभी भी , बच्चे पन्निया बीन रहे हैं , गाड़ियाँ साफ़ कर रहे हैं , स्टेशन पर फैंका हुआ गन्दा खाना खाकर पेट भर रहे हैं , और आपका रेलवे , जहाँ से भी लाइन गुजरती है , जंगलों मैं कचरा फैंक कर सफाई अभियान को बदरंग कर रहे हैं , कभी रेल का सफ़र भी करिए .
देखिये तो सही , कैसे रोज एक आम आदमी जीता है इस बद इन्तजामी में अब क्या कहूँ ? कुछ भी नहीं बदला .
रेनू शर्मा ... .
5 comments:
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (28-4-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com/
सार्थक बात
दुखी रहने का सामान मत एकत्रित करो -
खुश रहने के बहाने ढूंढो ....
वैसे आपने बात तो सही लिखी है ..कुछ भी नहीं बदला .....थोडा हमें अपना नज़रिया ही बदलना होगा -खुश रहने के लिए ...वर्ना आसपास तो बस दुखी करने का माहौल है ....!!
बहुत सटीक और सार्थक टिप्पणी..
आपने बात तो सही लिखी है
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