Sunday, November 1, 2009

उठो देव , अब , आँखें खोलो ..


नमस्कार स्वामी जी !!

आप जब सो रहे थे , बहुत कुछ अच्छा तो नही हुआ हाँ , भारतीय खिलाड़ी खेल जीत गए , हमारी राष्ट्रपति विदेश भ्रमण पर निकल गईं और न जाने क्या -क्या होता रहा , आप जब घोर निद्रा मैं थे , तब ही शायद लक्ष्मी जी आईं और लाडलों के घरों पर दस्तक देकर चलीं गईं । किसी की तनखाह बढ़ गई , किसी को बोनस मिल गया और भगवन !! किसी के घरों मैं गिफ्ट के इतने ढेर लग गए कि उनकी मैडम गिफ्ट से ही खेलने लगीं । वो बात अलग है कि उनके घर मैं काम करने वाली महिला दिन भर भूखी प्यासी लगी रही ।

आप जब करवट बदल रहे थे स्वामी जी !! तब ही की बात है , प्रभु !! विदेशी लोग हमारी सरहदों पर नीयत गिरा रहे थे , वो तो, भला हो आपके भक्तों का जो जाग पड़े और मारो मारो का शोर मचा दिया , वरना प्रभु !! जो लोग आपने निगरानी करवाने के लिए छोड़ रखे हैं , बड़े लम्पट हैं , खा पी कर आपसे भी गहरी नींद मैं सो जाते हैं ।

मुझे, आप झूंठ न बुलवाएँ , कुछ लोग तो महान हैअपना काम बखूबी करते हैं । हे ईश्वर !! जब आप सीधे सो रहे थे , तब ,तिलक धारी लोग ग्रह-नक्षत्रों की चाल और उनकी कृपा का बखान कर रहे थे , मुझे तो लगता है उन्हीं ने आपकी नींद मैं खलल डाला है , कोई दुनिया के विलय की बात कर रहा था , कोई सब कुछ ख़त्म होने की बात कर रहा था । पर देव !! किसी ने आपका नाम भी नही लिया , मैं तो नारायण !! नारायण !! की रट तब भी लगाये था । स्वामी !! आप कहें तो एक बात बता दूँ ? शायद आप को नही पता हो , आपके भव्य महलों के सिंहासन पर लक्ष्मी जी हर पर विराजमान रहतीं हैं , उन्हें भी शायद कुर्सी का मोह हो गया है । कोई आर -पार नही है धन का , आपको नही लगता कुछ ग़लत हो रहा है ? आपको इस माया की क्या आवश्यकता है , हजारों , करोड़ों भूखे -नंगे जीवन की जरूरतों से भी वंचित हैं , शिक्षा , पानी , भोजन का अभाव है भगवन !! आप कुछ तो कर सकते हैं । नही मैं तो , यूँ ही , कह रहा था । क्षमा करें स्वामी । उठाते से ही आपको नाराज करने का कोई इरादा नही था ।

पर मालिक !! जहाँ देखता हूँ आतंक नाम का एक प्राणी , इस धरती पर फ़ैल गया है , समाज द्रोही कहा जाता है , इंसानियत का भी बेडा गरक करके रखा है उसने । उसे कुछ तो आँख दिखा सकते ही हैं आप , अब , जब आप इतनी देर से सो कर उठे हो , मेरा फर्ज बनता है कि आपको सब ख़बर दूँ । वो तो गनीमत है कोई स्त्री आपकी सैकेट्री नही है वरना सारी शिकायतें महिलाओं की ही होतीं ।

भगवन !! अब , बता दूँ , जब आप उलटी तरफ़ करवट लेकर सो रहे थे , तब धरती पर जगह -जगह अग्निकांड हुए , कहीं जंगल मैं आग लग गई , कहीं घर जल गए , कहीं जलजला ही आ गया , मालिक !! इंसान तिनके की तरह बह रहा था । अब , आप कहोगे -कर्मन की गति , टरत न टारे । होइहे वही, जो राम रची राखा । फ़िर आपके उठने का फायदा भी होना चाहिए । माफ़ करिए आपको कुछ सलाह दे रहा हूँ , कुछ बदलाव होना चाहिए ।

पृथ्वी वासी कुछ जायदा उतावले हो रहे हैं कोई चाँद पर खड्डे खोद रहा है , कोई वहां बस्ती बसाने की बात करता है , मुझे तो आपकी नींद खुलने का भय था , पर आप कहाँ -कहाँ भागते फिरेंगे ईश्वर !! मुझे कोई पावर मिल जाती तो ... नही आप यदि उचित समझें तो ।

अब , तो मालिक !! धरती के गर्भ मैं एक ब्रहमांड बनाकर आपकी शक्ति को भी चुनौती देने का काम चल रहा है , क्या बताऊँ ? कुल मिलकर आपके सोते से ही , इन्सान कुछ भी कराने लगता है । यह रिपोर्ट तो , संक्षेप मैं है । भगवन !! आपका ब्रश और पेस्ट यह रखा है मैं , नास्ते का इंतजाम करता हूँ , स्वामी !! पूरी रिपोर्ट आपके पीसी पर लोड है । कृपा करें , मालिक !!

प्राइवेट सैक्रेटरी

रेनू ....

1 comment:

दिगम्बर नासवा said...

बहुत अच्छी खबर ली है मालिक की भी ........... और उसके बहाने पूरे समाज को आइना दिखा दिया ......... अच्छा लिखा है ...