Wednesday, August 19, 2009

इतिहास मत दुहराओ


हमारे देश में शिक्षा का पहला पाठ बताया जाता है कि -सदा सच बोलो , कभी झूंठ मत बोलो , चोरी मत करो , सम्पूर्ण विश्व को अपने कुटुंब की तरह देखो आदि न जाने कितनी बातें । माँ के आँचल से लेकर स्कूल , कॉलेज तक इन्हीं संस्कारों पर अमल करने का प्रयास किया जाता है ।

पढने -लिखने के साथ ही हमें अभिव्यक्ति की भी आजादी होती है , चाहे अभिनय हो , नाटक हो , पत्रकारिता हो या स्वतंत्र लेखन हो । तभी तो आज करोड़ों लोग इन्टरनेट के माध्यम से स्वतंत्र अभिव्यक्ति कर, कभी कहानी लिखते हैं , कभी कविता लिखते हैं कभी लेख लिखकर अपनी बात राष्ट्र के सामने रखने का प्रयास करते हैं । जो बहुत अच्छा लिखते हैं वे , कथा उपन्यास , कभी किसी विषय पर किताब लिखने का जोखिम भी उठा लेते हैं । विषय चाहे राजनीतिक हो या ऐतिहासिक ।

अब , नया शिगूफा उठ गया है , जसवंत जी ने जिन्ना साहब को लेकर "" भारत विभाजन के आयने में "" किताब क्या लिख दी देश भर में बबाल मच गया । किताब लिखने के जुर्म की सजा पार्टी से निष्कासन मिल गया । आश्चर्यजनक घटना ने देश को प्रभावित तो कर ही दिया है । अपनी गिरती छवि से आहत तथाकथित राजनेता इतने उन्मादी और अवसादी हो गए कि उन्हें सही ग़लत का भान तक नही रहा ।

बिना किसी तथ्य और प्रमाण के किसी ऐतिहासिक सच को बदल देना कोई आसान काम नही है । अगर जसवंत जी ने अपनी किताब में कुछ लिखा है तो किताब को रोक दीजिये , तसलीमा की लज्जा की तरह बांगला देशी क्यों बन रहे हैं । रचनात्मक कार्य की असत्यता को प्रमाण मानकर किसी को इतना अपमानित किया जा सकता है !!

किसी भी पार्टी के लिए जाति -धर्म , समाज को लेकर राजनीति करना बहुत घातक है , बुढापे तक कुर्सी से चिपके रहकर , युवा पीड़ी को आगे आने का मौका ही नही देते , कहते हैं देश का विकास नही हो रहा । तभी तो युवा बगावत का बिगुल बजा देते हैं , हमारा इतिहास गवाह है ।

भौतिकता में आकंठ डूबे हुए लोग ही इस तरह की मूर्खतापूर्ण बातों को दुहराते हैं । कौन मान सकता है कि इन नेताओं को गरीबों की चिंता है , इन्हें राष्ट्र की चिंता है , इन्हें युवाओं के भविष्य की चिंता है । जो सच बोलने का प्रयास करेगा उसे ताक पर रख दिया जाएगा । यही सनातन सच है । हमारा देश भ्रष्ट लोगों से भर गया है ।

अपनी गरिमा का ख्याल रखना चाहिए । बच्चों के सामने यही नीति रखी जा रही है । धिक्कार है , देश के नेताओं को ।

रेनू ...

2 comments:

दिगम्बर नासवा said...

आपका कहना सौफी सदी सच है ........... आज के नेता ऐसा कोई भिकोई भी आदर्श नहीं रख सके हैं बस कुर्सी ही उसका सिधांत है .......... अपना अपना स्वार्थ देखते हैं ...........

Atmaram Sharma said...

आपने जो बयान किया वह कड़वा सच है.