सदियों से बच्चे एक प्यारा सा गाना सुनते आ रहे हैं , चंदा मामा दूर के , पूए पकाए बुरे के ........ । मां बच्चे को अनमोल खिलौना चाँद दिखा कर कह देती है , ये तुम्हारे मामा हैं , बच्चा अगर जिद करता है कि मुझे मामा चाहिए तो , मां भी बड़ी उतावली होकर कह देती है हाँ , ला , दूंगी । अब , सो जा , और ढेर सारे सुनहरे सपने देखते हुए बच्चे सो जाते हैं ।
भारतीय परिवेश इतना लचीला , विराट , और प्रकृति मैं समाया हुआ है कि हर घर के आँगन मैं , दो चारपाई बिछी मिल जाएँगी , जहाँ घर के बुजुर्ग नन्हे बच्चों के साथ किस्से कहानियाँ गड़ते हुए सोते हैं । कहानियो का मुख्य पात्र चंदा मामा ही होता है , उनके सवाल होते हैं - दादाजी !! चन्द्रमा के पास इतनी बिजली कहाँ से आती है ? कितनी दूर है ? दादाजी ने कभी स्कूल का रास्ता नही देखा लेकिन उनका नक्षत्रीय ज्ञान इतना सटीक होता है कि पड़े लिखे नतमस्तक हो जायें , हर रात की एक नै जिज्ञासा , नया सवाल , नया ज्ञान पैदा होता रहता है ।
हर बाल मन चाँद तक जाने की उत्कट अभिलाषा के साथ बड़ा होता है क्योंकि चाँद की कहानी , तारों की झिल - मिल घुट्टी की तरह पी ली जाती है ।
हर घर की अटारी या कहें की छत के छुपे कोने मैं रातभर मधु चांदनी मैं अमृतपान करते से युगल आगामी जीवन की खुशियों , कसमों , वादों को चाँद तारों की शपथ से शुरू करते हैं और उन्हें तोड़ कर लेन की अविश्वसनीय दिलासा भी दे बैठते हैं । शपथ की मजबूती , साहस और निश्चय से प्रेयसी का मन प्रेमी के अतुलनीय प्रेम का अनुमान लगा लेता है , सामाजिक , पारिवारिक झंझटों से मुक्ति के लिए चाँद के पार बसने का ख्वाब भी संजोया जाता है , भारतीय चित्र पट की दुनिया भी रंगीन सपने दिखने का वादा कराती है - चलो दिलदार चलो , चाँद के पार चलो .........हम हैं तैयार चलो ... । चाँद आहें भरेगा , फूल दिल थाम लेंगे , हुस्न की बात चली तो .......क्या बात है इस चाँद की ।
प्रकृति हमारे इतने अन्दर तक समाई है कि चाँद , तारे , फूल पत्ती भी मानवीय रूप धर लेते हैं । उलाहना देना , शिकायत करना , तुलना करना तो हमारी दिनचर्या मैं समां गए हैं ।
भारतीय आध्यात्म कि बात करें तो युगों से चन्द्रमा हमारी पूजा , आराधना का हिस्सा बने हुए हैं । देव पुत्रों के रूप मैं चाँद , तारों को बताया गया है , हमारे व्रत , त्यौहार , ईद , ज्योतिपर्व आदि सब धार्मिक अनुष्ठान चाँद कि उपस्तिथि के बिना अधूरे ही हैं , हजारों किलोमीटर दूर का चन्द्रमा अब हमारे घरों की छतों, आँगन के छोटे से आसमान से निकल कर हमारी नज़रों में समां गया है। हम उसके बहुत पास पहुँच गए हैं। "चंद्र यान" के " मून इम्पेक्ट प्रोब" ने चाँद कि सतह पर उतर कर तस्वीर भेजना क्या शुरू कर दिया, हमारा चाँद पास और पास आता जा रहा है। अब चाँद के पार दिलदार के साथ जाने का रास्ता साफ़ नज़र आ रहा है।
5 comments:
बहुत बढ़िया!
wah..wa
sunder aalekh
sahi baat hai. narayan naraayn
अति सुंदर..कहाँ पहुँचा दिया चाँद को..वाह..
Chand mera favorite topic hai....aapne chand ko ek naya roop de dala..bahut badiya..badhai..
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