Friday, November 28, 2008

आतंक का तांडव

सबसे पहले नमन करती हूँ उन शहीदों को , जो हमारी सुरक्षा करते हुए शहीद हो गए । सलाम करती हूँ उन कमांडो को जो , लगातार हमारी रक्षा कर रहे हैं । प्रणाम करती हूँ उन सैनिकों को और सिपाहियों को जो , बिना किसी सुरक्षा साधन के हमारी सुरक्षा के लिए प्रयास रत हैं ।
अब नमस्कार है , उन पत्रकारों के लिए जो , जान हथेली पर रखकर हमें पल - पल की जानकारी दे रहें हैं , वे भी किसी वीर सिपाही से कम नहीं हैं ।
२६, २७ ,२८ तारीख दुनिया भर के लोग स्तब्ध हैं , भारत के सीने पर आतंकी कहर वरपा रहे हैं , भारतीय सेनाएं लोगों को बचाते हुए , उन पर सफलता पाने का प्रयास कर रहे हैं । करोड़ों लोगों की दुनिया टी.वी .स्क्रीन तक सिमट गई है , बच्चों का भय , उनकी असुरक्षा की भावना एक विषाद की तरह रोग का कारन भी बनती जा रही है , लोग दहशत मैं हैं , बुजुर्ग व्यवस्था को कोस रहे हैं , युवा वर्ग स्वयम को निहत्था सा मान रहा है , सबका खून खौल रहा है , पर इसके अलावा भी , सबकी सोच को चिंतित करने वाली बहुत सी बातें हैं ।
भारतीय सरकारें अब तो जातिगत लडाइयों को त्याग कर देश की सुरक्षा के लिए एकमत हो जायें , जातिगत छुरियाँ चलाने मैं माहिर राजनेता अब , चूहे की तरह कहाँ छुप गएँ हैं , बाहर निकलो देश के दुश्मनों से दो दो हाथ करो , तब पता चले दुनिया , कि बम्बई , किसी कायर की नहीं है । तुच्छ शब्दों से अपने संस्कार को प्रदिर्शित करने वाले , अहम् को भूल कर एक हो जाओ । घर मैं , शेर की तरह दहाड़ने वाले , जब घर पर हमला हुआ तो , गायब हो गए ।
पूरा देश अचंभित है , यह सब क्या हो रहा है ? अब शहरों मैं घुस कर, खुले आम कत्लेआम हो रहा है , मानो किसी फ़िल्म की शूटिंग हो रही हो , पूरी दुनिया भारत का तमाशा देख रही है । दुर्घटना होने के बाद , सरकार जागने का प्रयास करती है । खुफिया तंत्र सोया हुआ है , आम नागरिक अपना खून बहा रहा है , आख़िर कब तक .....
हमारे घर मैं घुस कर ही हम पर हमला किया जा रहा है । राज संचालको !!अब तो होश मैं आजाओ , नशे की दुनिया से बाहर निकलो , देखो ! तुम कहाँ खडे हो ? शर्म ! शर्म !! ........
रेनू शर्मा ......

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