Sunday, November 30, 2008

एच . आई .वी


एड्स से सतर्क रहने के लिए ही एक दिसम्बर को एड्स दिवस कहा जाता है । सब समझते हैं कि एड्स क्या है , पर जान कर भी मानता कोई नही । शिक्षित लोगों को यह बताने की जरूरत नही कि यह कैसे फैलता है बल्कि हर समय उन्हें सचेत करना पड़ता है । सुरक्षित उपाय के साथ सहवास की प्र्रेरना दी जाती है , पर अनपढ़ , नादाँ , सरल लोगों को बताना जरूरी है कि एच , यानि हम आई , यानि कि मैं और वी यानि वोह यदि हमारे बीच मैं वोह का प्रवेश होगा तो गुप्त रोग लग सकते हैं , इतना तो सरल लोग भी जानते हैं उन्हें पता है कि वैद्ध , हकीम हैं जो हमारे बीच का आदमी है , उनकी भाषा बोलता है , कम पैसे मैं काम करता है , बड़े औजार नही रखता । अंग्रेजी दवाइयों कीपर्ची नही थमाता , गोली , चूरन बना कर स्वयम ही देता है , दीये की रौशनी मैं नब्ज टटोलकर बता देता है मर्ज क्या है , मलहम लगनी हो तो , और भी आसान है ।
सुरक्षा साधनों से भारतीय लोग हमेशा परहेज ही करतें हैं चाहे सुरक्षा देश की ही क्यों न हो , दुनिया भर के लोग सब कुछ जानते हैं पर , फिरभी , असुरक्षित परगमन उन्हें एड्स की गिरफ्त मैं ले आता है । जो लोग , व्यभिचारी हैं , वेश्या गमन करतें हैं , अजनवी महिला या पुरूष के साथ संपर्क करतें हैं वे , इस रोग को निमंत्रण देतें हैं ।
सम्पूर्ण विश्व इस रोग की गिरफ्त मैं है , हम चाहते हैं की लोग इससे मुक्त हों । नशा करना छोड़ना होगा , नशा ही विषय की ओरआकर्षित करता है , जड़बुद्धि व्यक्ति बलात्कार , हत्या जैसे पाप कृत्य करता है । होश आने तक बहुत देर हो जाती है , व्यक्ति जीवन ही गँवा बैठता है ।
नशे से मुक्त हो जाइये , फ़िर असुरक्षित योनाचार से दूरी बना लीजिये तभी इन्सान जीवित रह पायेगा ।
रेनू शर्मा .......

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