Sunday, October 5, 2008

बाईस्कोपी तमाशा


भारतीय संचार मध्यम आज कल किसी मदारी से कम नही है , दो दिन पहले से चीखना शुरू कर देंगे , हमारे पास है पुनर्जन्म के बाद का मानव , जीते जी जिसका हुआ जन्म , देखो , देखो , देखो ,सिर्फ़ हमारे पास है , मानो डुगडुगी की आवाज कोई नही सुन पा रहा है , कभी बोलेंगे मरने के बाद का सच , एक इन्सान की मौत्त से मुलाकात , काल का घर देखिये , आइये हमारे साथ । बिल्कुल उन्नीसवीं शताब्दी के बाइस्कोप जैसा , डमरू बजते ही बच्चों की भीड़ हो जाती थी , दिल्ली का लालकिला देखो , आगरा का ताजमहल देखो , सिनेमा का हीरो , जयपुर का हवामहल , बम्बई का समुन्दर देखो और न जाने क्या - क्या ।

हिंदी भाषा मै अपना प्रसारण राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्टार पर करतें हैं पर खबरों को चटपटा बनने के लिए धर्म और संस्कृति का उपहास बनने से भी परहेज नही , श्री मद भग वद गीता को पढ़ा हो , धर्म शाश्त्रों को देखा हो तो कोई अनपढ़ भारतीय भी बता देगा की जब व्यक्ति परम ध्यानावस्था मैं चला जाता है तब गहरे अंधकार के बीच प्रकाश पुंज शनै :शनै : विस्तृत होता जाता है और फ़िर अचानक एक बिन्दु मैं बदल जाता है , जो सूर्य जैसा भान करता है , हमारी दैहिक , भौतिक उर्जा का कम्पन ही हमें ध्वनी रूप मैं सुनाई देता है , जो एक नाद ध्वनी कही जा सकती है , भारतीय बुजुर्गों से पूछो , इस नौटंकी का प्रभाव हमारे बच्चों पर ग़लत पड़ता है , अगर किसी बात को बताना है तो कारण और तरीके सब बताओ , दस लोगों लोगों से बहस करवाते हैं की यह ठीक है यह सच नहीं क्या मतलब है इस नीचता का ।

उम्मीद की जाती है की भारत सरकार इन सब बेसिरपैर की खबरों पर नकेल लगा देगी , किसी दमदार विषय को लेकर आइये , क्या घटिया बहस करतें हैं ये लोग ।

रेनू शर्मा .......

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