Monday, September 15, 2008

लागा जूते मै दाग


निरीह जनता को खून - खरावे मै झोंक कर बेसिर - पैर की नीतियों के प्रतिशोध स्वरूप अमानवीय कृत्य पर उतारू , कुछ असमान्य व्यक्तियों द्वारा देश की सुरक्षा , शान्ति , सदभाव , भाई - चारा और मानवता को निशाना बनाया जा रहा है और कर्णधार पुराने वस्त्रों का त्याग कर नये वस्त्र धारण करने मै व्यस्त हैं । अगर सम्वेदनाएँ और जिम्मेवारी से मुंह छुपाना ही है तो , देह त्याग करके देखो , कितना आनंद मिलेगा । पूछो उन पीडितों से , जिसने अपने घर को उजड़ते देखा है , बच्चे को तडफ कर दम तोड़ते देखा है , पूछो उन विधवायों से जिनके सुहाग छिन गए , जीवन भर भटकती रहेंगी , रोटी , पानी और कपडों के लिए , पूछो उन माँ से , जिन्होंने अपने जवान बेटे आपकी लापरवाही , लालफीताशाही , कायरता के कारन खो दिए ।

धूर्त , मक्कार , कायर , लापरवाह सुरक्षा का जिम्मेवार अमात्य किसी कीमत पर मानी नहीं , चुल्लू भर पानी मै डूब मरना चाहिए । किस राजा ने येसी गुस्ताखी की , जिसे अपने राज्य , नगर , प्रजा की चिंता नही ? शान - ओ - शौकत किस प्रजा को दिखाई जा रही है , उन्हें , जो मर गए , घायल हो गए , या चीख रही हैं ।

थोथी मानसिकता वाले व्यक्ति को फैशन परेड मै भेज देना चाहिए , अब , कहा जाएगा बोलना आसन है , करना मुश्किल , तो , पहले खुफिया तंत्र को मजबूत करो , दोषियों को शीघ्र मृत्यु दंड दो , सच्चे पाक रहो , फ़िर देखो तमाशा , किस कायर की हिम्मत है आपके घर मै आकर चांटा मरकर जाय , या सीना ठोककर आपके ही सर पर दाल दले ।

रेनू ........

3 comments:

Mukesh said...

"देश दलदल में जा रहा है, जाये,देशवासी दिन प्रतिदिन असुरक्षित होते जा रहें हैं,होयें, मुझे क्या मैं तो सुरक्षित हूं, मेरे बच्चे तो सुरक्षित हैं, देश भूखो मरे, मेरा क्या जाता है? मैने तो स्विस बैंक मे पूंजी जमा कर रखी है , सात पीढी ऐश करेगी तब भी नही खत्म होगी । जनता के दुख दर्द से हमे क्या लेना देना, पता नही ऐसा अवसर फिर मिले न मिले, लूट लो देश को....... " ।
बहुत अच्छा लिखा है आपने, ऐसे लेखों की आवश्यकता है. लिखते रहिये...

shelley said...

aapki chinta jayaj hai yah nitant sach hai ki chuk to hamse hi hoti hai. baar & baar bhulten hain hum ki hum barud k der par baithen hain chigari se bachna hoga.

RAJ SINH said...

sachche bharatvasiyon ka man aur dard dono hai aapkee abhivyakti me.