Sunday, July 20, 2008

वजूद

सबसे उर्जावान
कोमल - कठोर हीरे सा
धूल का कन
मेरा वजूद
मन की परतों में
समायी ऊष्ण-शीत के
थपेडों में घिसटती
ज्वालामुखी से फूटते
बिखरते - फेलते
मनोभावों से चिटके
देहेकते - दमकते
एक कन सा मेरा
अस्तित्व हीरे सा बन
चमकने लगा …
-रेणू शर्मा

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