दोस्तों !!
कल २२ जुलाई को हम सबने देश के सर्वोच्च मंच से मानवता को ध्वस्त होते देखा ,कितना आसान था आरोप -प्रत्यारोप के लांछन लगाना लेकिन हर स्थिति मै भारतीय जनता ही शर्मसार हुई ।
इन निम्नतर स्थितियों के लिए हम भी जिम्बेदार हैं ,कियों की बार -बार उन्ही नेताओं का चयन कर लिया जाता है ।
अब आशा की जाती है कि इस तरह की अशोभनीय स्थति फ़िर कभी न बने ।
रेनू शर्मा
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