Wednesday, July 23, 2008

मीठा दाना

हफ्ते मैं दो दिन ,
सींग की ,
कंघी से बुहारे ,

बालों की ,

लटों से निकले ,
बालों की तेह में छुपे ,
जूँ वाले बालों को ,

धागे की कतली से कात कर ,

लपेटे गुछे को ,

टीक दोपहरी मैं ,

टूटी साइकिल पर ,

काले बदबू बसे कपडों मैं ,

मैल जमे त्वचा वाले ,

फेरी वाला ,

बार - बार हाथ डालने से ,

काले किनारे वाले थैले से ,

बालों के बदले एलाइची - दाना ,

भुना चना ,

तराजू के फूटे तले पर तौलते ,

उस निरीह से ,

उलझ पड़ती है वोह ...

कम क्यों देते हो ?

तब ,

खजला सा फेरी वाला ,

बिफर जाता है ,

जा ... टीन - टप्पर कबाड़ ले आ ,

मीठे - दाने ॥

क्या बालों से ही खायेगी ?

वोह ...कभी हफ्तों से समेटे ,

बालों को घूरती ,

कभी उस कबादी को ,

कूड़े के ढेर पर उड़ते,

बालों के गुछे पर झपटती है,

चल ... अब दे मीठा दाना ...!!


-रेणू शर्मा

No comments: