Friday, March 5, 2010

बाई का बजट

श्यामा , आज जल्दी आ गई , सुबह की चाय बनाती जा रही थी और कह रही थी बाई सा !! आज सरकार बजट दे रही है , क्या पता , क्या निकालेगी ? 
क्यों , तुम इतनी चिंतित क्यों हो रही हो ? बाई सा !! चिंतित क्यों न होऊं ? पिछले बरस सरकार ने कहा था - हर आदमी को कपड़ा , खाना मिल जायेगा लेकिन कुछ तो नहीं हुआ ? आदमी भी काम पर जाता , एक ही बेटी है , सरकार ने बोला बच्चा एक ही होना , में समझ गई , तबी भी , घर का खर्चा नहीं पुरता , अस्पताल जाओ , तो , डाक्टर , बोलता घर आकर दिखाओ , बाहर से दवा लेनी पड़ती है , वहां भी तो , पहचान चलती है .
अरे !! क्या -क्या बोल रही ? जरा साँस तो , लेले , क्या लूं ? बाई सा !! आपसे क्या बोलूँ ? लड़की दूध का बोलती तो , पैसा नहीं होता , सरकार बोलती अब , पैसा बढ़ा देगी  आप कब तक , मेरी बेटी को दूध का पैकेट देती रहोगी ?सरकार भी तो , कुछ करे .
तुझे क्या चाहिए बता ? कितना पैसा होगा तो , तेरा काम चल जायेगा ? बाई सा !! आदमी और में दोनो मिलकर पांच हजार कमा पाते हैं , पूरा पैसा खर्च जाता है , कभी कपडे चाहिए तो , बाट जोहनी  पड़ती है , कभी , मां से मिलने जाना हो तो , बस का किराया मार डालता है , बाई सा !! बेटी का ब्याह भी तो , करना है ? अरे !! उसकी चिंता मत कर , सरकार बेटियों की शादी भी करा देती है ,कुछ न पूछो बाई सा !! वहां का अधिकारी भी बीस हजार रोकडा ले लेता है , मुहर लगा देते हैं बस , 
सरकार पक्का काम दे तो , कुछ भला हो , कभी मर गए तो , लड़की को पैसा मिल जायेगा , तू , हर समय मरने की बात क्यों करती है ? जीने की बात किया कर , महगाई जीने कहाँ देती है , श्यामा की हर बात सुनने के बाद , एक बात तो , समझ आ गई कि उसकी चिंता सिर्फ खाना , कपडे , बेटी की शादी ही है , उसे शिक्षा , स्वास्थ्य , विज्ञानं , टैक्नौलोजी , विकास आदि से कोई मतलब नहीं , आज के युग में इतनी संतुष्टि के साथ जीना कोई आसान काम नहीं , अगर , सरकार का बजट इसी तरह ऊँचाइयाँ छूता रहा तो , बाई का बजट ही हमारा बजट भी होगा . 


रेनू शर्मा ... 

3 comments:

Amitraghat said...

एक साँस में पढ़ लिया... मज़ा आया....
amitraghat.blogspot.com

M VERMA said...

विचारणीय चिंता
हालात खराब होते जा रहे हैं

शरद कोकास said...

और..इस तरह समाजवाद आ जयेगा ।