Monday, June 8, 2009

राजनीति का प्रवेशद्वार रैगिंग


सदियों से पढने और सुनने को मिल रहा है कि रैगिंग करने के बहाने सीनियर छात्र जूनियर को मारपीट कर निजी काम व कॉलेज का काम करवाया करते थे । छोटों पर अपनी धाक ज़माने का तरीका यही था । जूनियर से सम्मान करवाने के लिए इतना मारते थे कि बंद डर के मारे जूते पोलिश तक करने के लिए तैयार हो जाता था । भय दिखा कर ही जूनियर को सही रस्ते पर लाया जाता था , जिन विद्यार्थियों के पहचान वाले छात्र होते थे वे ही बच पाते थे । रैगिंग करने के दौरान किसी छात्र की मृत्यु हो गई हो , ऐसा कभी नही सुना गया ।

हजारों ऐसे किस्से हैं जो हमारे बुजुर्ग सुनाते रहते हैं , धीरे से मुस्कराकर अपने बड़ों को तहे दिल से याद भी करते हैं । उनका सम्मान आज भी करते हैं । कुछ लोग मानते हैं कि उन्हें माता -पिता ने नहीं बल्कि उनके सीनियर ने सुधार दिया । भाई चारा सिखाया , पढने का तरीका बताया , दोस्ती सीखी । दोस्ती के मायने उन्हीं से समझ में आए । कोई पल ऐसा नही जाता , जब पुरानी मीठी - मीठी यादें भूलती होंगी । आज के बच्चे रस लेकर उन कस्सों को सुने हैं जब उनके बुजुर्गों की आंखों की कोरें नम हो जाती हैं ।

सभी जानते हैं कि नेता गिरी का भूत कॉलेज समय से ही चढ़ जाता है । कभी छात्र जबरदस्ती हास -हूस करते हैं और छोटी सी बात को बढ़ा बनाकर नेता गिरी करते हैं । कुछ छुट भइयों को मारा पीटा भी जाता है । जब कॉलेज परिसर में बन्दे की टूटी बोलने लगती है तब , राज नैतिक पक्ष के लोग उनसे संपर्क कर अपनी पार्टी में लेने का प्रयास करते हैं । कभी जेब खर्च भी करते हैं । इन पार्टियों का सिलसिला शुरू होने में अधिक समय नही लगता । सोमरस की नदियाँ प्रवाहित होने लगती हैं और नए खिलाड़ी उसमें डुबकी लगा कर , होनहार विरवान बनकर निकलते हैं । कॉलेज की चुनाव प्रक्रिया में इनका दखल देखा जा सकता है ।

जो , जितना अधिक जागरूक , संवेदनशील और कर्मठ होगा वही अपनी सत्ता कॉलेज में जमा लेता है । यहाँ सिर्फ़ काम का सहारा ही नही होता , दादागिरी भी भरपूर चलती है । आज राजनीति पर हैवानियत हावी हो गई है । रैगिंग कर जूनियर को सुधारने वाले अब , मारपीट , भय और शोषण के द्वारा उसे अधमरा कर देते हैं । शारीरिक -मानसिक और आर्थिक रूप से प्रताणित कर आत्म ह्त्या तक करने पर मजबूर कर देते हैं । यह सब काम कॉलेज प्रशासन और सीनियर विद्यार्थियों की नाक के नीचे ही होता रहता है । समर्थन प्राप्त अपराधी कुछ भी करने से बाज नही आते । संवेदनशील और गंभीर छात्र इस स्तिथि को समझ नही पाते और मासिक रूप से अस्वस्थ हो जाते हैं । कोई सख्त कार्यवाही न होने के कारन अपराधी छूट जाते हैं । एक समय आता है जब वही , हेकडी बाज छात्र राज नीति में अपना भाग्य आजमा रहे होते हैं ।

लड़कियां इन हरकतों से दूर रहती हैं ऐसा भी नही है । कुछ लड़कियां भी अपने को पुरुषों से कम नही समझती , अपनी जूनियर को वैश्यावृति तक करने को मजबूर कर देतीं हैं । सीनियर लड़के ही इनके ग्राहक होते हैं । मानसिक रूप से प्रताणित करने में लड़कियां लड़कों से भी आगे निकल जातीं हैं ।वीडियो , ऍम ऍम एस और फोटो के द्वारा उन्हें धमकाया भी जाता है ।

कॉलेज प्रशासन को सब पता रहता है कि क्या हो रहा है ? राजनीति के दलदल में फंसे लोग कुछ कार्यवाही भी नही कर पाते । हमारी शिक्षा प्रणाली कितनी विचित्र हो गई है कि दिन पर दिन पतन हो रहा है ।अब , इसका प्रतिवाद भी है । मानाकि राजनीति की गर्भ धारिणी प्रसूता से कॉलेज और विद्यालय हर रोज उग रहे हैं नई घास से । फ़िर भी सरकार को चाहिए मरियादाओं का उल्लंघन करना दंडनीय अपराध हो । भय मुक्त शिक्षा का उदय होना चाहिए ।

रेनू ...

2 comments:

admin said...

पर अब माहोल जल्दी ही बदल जाएगा। कारण कोर्ट का आडर।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }

Dr. Ashok Kumar Mishra said...

अच्छा लिखा है आपने । प्रभावशाली और मंथन के लिए प्रेरित करने वाले विचारों को सीधी सरल भाषा में प्रस्तुत किया है जो सहज ही प्रभावित करते हैं ।

मैने अपने ब्लाग पर एक लेख लिखा है-फेल हो जाने पर खत्म नहीं हो जाती जिंदगी-समय हो तो पढें और कमेंट भी दें-

http://www.ashokvichar.blogspot.com