Thursday, May 14, 2009

नमन करना सीखो


बड़े अदब से कह लेते हैं कि आज के युग में स्त्री पुरुषों में कोई भेद नही , कंधे से कन्धा मिलाकर आगे चल रहे हैं । मजदूर से लेकर शासन सत्ता तक यही कर्म चलता भी है । क्या , औरत हर जगह पूरे मान -सम्मान के साथ स्थापित है ? यह प्रश्न हर दिन उठता है ।

हम घर से ही स्त्री की बात करते हैं , बेटी अगर देर तक दोस्तों के साथ पार्टी करे या ग्रुप स्टडी करे , सबसे पहले घर वाले ही सवाल खड़ा कर देतें हैं । जबकि ऐसा कुछ नही होता ।

घर से बाहर यदि काम करने को जाती है तब भी उसके ऊपर अंगुली उठ जाती है । सह कर्मचारी ही शोषण करने से बाज नही आते । उसकी वेशभूषा , खानपान , व्यवहार सब पर कभी कोई खुश होता है और कभी उसी को लांछित भी कर देता है । स्त्रियों को मान देने के लिए दिखावा करने वाले पुरूष ही , सबसे अधिक उपहास करते हैं । घर से लेकर बाहर तक स्त्री प्रपंच का सामना ही करती है ।

अब यदि राजनीति की बात करें तो , यहाँ कोई किसी का सगा नही । नारी शक्ति चाहे कितनी ही महान हो , उसने चाहे कितना ही कल्याण किया हो , पर उसकी टांग खींच कर पटखनी लगाने से भी बाज नही आते । दांव -पेच अपने स्तर से इतने गिर जाते हैं कि चारित्रिक पतन के आरोप तक लगाकर सरेआम औरत को बेआबरू करने में उन्हें लाज नही आती । पुरुषत्व की तृष्णा बढती ही जाती है ।

औरत कहाँ सुरक्षित है , कहाँ नही ? एक प्रतिनिधि को लाकर खड़ा कर दिया जाता है कि बुरे वक्त में जनता कि कुछ सहायता करेगा लेकिन वही प्रतिनिधि अपनी आबरू को बचाने के लिए डर -डर भटकती है । कैसी बिडम्बना है ? फ़िर जनता का हश्र क्या हो सकता है यह तो कल्पना के बाहर की बात है । नारी कहाँ चली जाय ।

कानून ताक पर रखकर , कानूनविद तमाशा देख रहे हैं । सारे विभाग लकवा ग्रस्त से लगते हैं ।

पुरूष प्रधान समाज की नींव जो सनातन सत्य है , वह कायम है फ़िर भी हो , हल्ला क्यों ? न्याय नही तो , अन्याय भी न करो ।स्त्री में यदि आत्म बल न होता तो कबकी बिखर गई होती , यूँ ही सब , चलता रहा तो भारत के आत्मिक आदर्शों का क्या होगा ? क्या यहाँ भी फतवे जारी होने लगेंगे ?

अहमी पुरुषों संभल जाओ , हुंकार का बल अधिक साथ नही देता , शक्ति को नमन करना सीखो । तभी अनंत प्रवाह के साथ हम संचरित हो सकेंगे ।

रेनू शर्मा .....


No comments: