Monday, April 6, 2009

ओजोन का घाव


दुनिया भर में कोहराम मचा है , हमारा पर्यावरण गरम हो रहा है । दुनिया मानो सूर्य की ओर सरक रही है । ग्लोवल वार्मिंग को लेकर विश्वभर के लोग लाखों करोंडों का धन सिर्फ़ मीटिंग करने में ही खर्च कर रहे हैं । जिन तथ्यों को संचार माध्यम से देखा जा सकता है , उनके लिए हवाई यात्रायें की जा रहीं हैं । जनता के धन का धुआं उड़ाया जा रहा है ।

पर्यावरण ज्ञानी कहते हैं कि वृक्ष हमारे जीवन कि उर्जा हैं , उन्हें हर दिन उगाना चाहिए । पृथ्वी से वन , जंगल गायब हो रहे हैं । लेकिन यह सब काम हम सब ही कर रहे हैं । दिन के उजाले और रात के अंधेरे का फायदा उठाकर विकास के नाम पर वृक्षों को कटा जाता है । लकड़ी का व्यवसाय करने वाले जंगलों को उजाड़ रहे हैं । घर के आँगन में खड़ा सूखा पेड यदि काट दिया जाय तो वन संरक्षक जेल भेज देते हैं , पर नाश करने वालों पर कोई कार्यवाही नही की जाती ।

हमारे स्कूलों में किसी बच्चे ने आज तक एक पौधा नही लगाया ।जबकि बच्चे जब तक स्कूल में पढ़ते रहें , उस वृक्ष की परिवरिश करते रहें । भू ज्ञानी जानते हैं कि पृथ्वी का जरूरत से जायदा खनन किया जा रहा है । जापान से लेकर पृथ्वी के छोर तक भूमिगत सुरंगें खोदी जा रहीं हैं । रेल मार्ग , हवाई पट्टियाँ बनाएँ जा रहीं हैं ।

वैज्ञानिक शहर भर को खोद कर विज्ञानं शाला बना रहे हैं । कहते हैं परमाणु की टक्कर का अध्ययन करेंगे । जबकि एकांत में आँख बंद कर यदि बैठ जायें तो , सारी लीला समझ आ जायेगी । पृथ्वी के सीने को छलनी किया जा रहा है । इन्सान अपनी गलतियों के कारण ही आपदाएं झेल रहा है ।

मानवीय कीडे को अधिक से अधिक भौतिक सुविधाएँ पाने का चस्का लगा है , इस कारण यह दुर्गति हो रही है । पृथ्वी के वीयवान बर्फीले इलाके में भी जहाज चला दिए , अब कहते हैं बर्फ पिघल रही है । पृथ्वी की पवित्रता को पाक नही रहने दिया है । नापाक इरादों से विध्वंश कर रहा है ।

ओजोन का छेद अब संक्रमित हो गया है , हम सब इस विनाश के जिम्मेवार हैं । घाव अब रस रहा है , हमें अब ठोस उपाय की आवश्यकता है । प्रकिरती से जुड़ने की जरूरत है ।

रेनू ....

2 comments:

Science Bloggers Association said...

इस पर अब सारे संसार को एक साथ विचार करना होगा।

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तस्‍लीम
साइंस ब्‍लॉगर्स असोसिएशन

संगीता पुरी said...

सही कहा ... प्रकृति से जुडने की जरूरत है सबको।