आचार्य कौटिल्य को जब पढ़ रही थी , तब उत्कोच शब्द जादा समझ आया था . उस काल के उत्कोची लोगों और उत्कोच के तरीकों पर निगाह रखना शुरू कर दिया , लेकिन आज तो उत्कोच की परिभाषा ही बदल गई ,क्योंकि कोच की जगह तो अब बिस्तर ने ले ली है . भारतीय प्रशासनिक सेवा में कार्यरत आइएएस अधिकारी या कहें कि सरकारी बाबू लोग रिश्वत लेने में इतने घाघ निकले कि हमारी तो हवाइयां ही उड़ गईं . कभी सोचा ही नहीं था कि लोग लक्ष्मी को बिस्तर के नीचे रखकर सो भी सकते हैं . कोई स्त्री इतनी नीच हो सकती है कि जनता के पैसे को डकार भी सकती है .
सरकार का पूरा कुनवा ही उत्कोची निकला , यहाँ तो हद कि भी हद हो गई , सरकार को चाहिए कि हर विभाग में अपने गुप्तचर नियुक्त करे , इन्हें तो तत्काल नौकरी से बर्खास्त कर देना चाहिए . जनता के सामने फंसी की सजा देना चाहिए . कमल है इन धूर्त लोगों के घर तो चोर भी नहीं जाते . सरकारी पिल्लों को दरवाजे पर जो बांध कर रखते हैं . कुत्तों से सावधान का बोर्ड लग जाता है . सरकार भी तो नौकर -चाकर , गाड़ी ,घर सारी सुबिधायें देती है उसके बाद ये हाल हैं . समाज को भी नीचा दिखने के कारनामे कर डाले .
उत्कोची व्यक्ति भी देशद्रोही ही होता है , समाज ,देश , जनता , शासक सभी को धोखा देने वाला एक आतंकी के समान ही सजा पाने का अधिकारी होता है . सीधी बात है मृत्यु दंड मिलाना ही चाहिए .
हमारे देश में स्कूलों की जर्जर अवस्था है ,बेसिक सुविधाएँ भी नहीं मिल पा रहीं हैं और ये रिश्वत खोर लोग घपले करने में लगे हैं . दवाइयों के अभाव में गरीब लोग दम तोड़ रहे हैं , बेटियां घर संभालने के बजाय नौकरियां कर रहीं हैं हमारा समाज बिखर रहा है . इन लोगों को किसी का डर ही नहीं रह गया .
समाज के मध्यम लोग दाल रोटी के लिए संघर्ष कर रहे हैं . पापी लोग पीढ़ियों के लिए नोट छाप कर रख रहे हैं शर्मसार करने वाली घटनाये हो रहीं हैं . सरकार को चाहिए दृढ़ता पूर्वक भ्रष्टाचारी लोगों को दंड दे , उनका सफाया करे हो सकता है कुछ लोग इससे सबक ले सकें , उत्कोची प्रणाली पर अंकुश लग सके .
रेनू शर्मा .....
3 comments:
किस सरकार की बात कर रही हैं आप ........... जो खुद पूरी की पूरी भ्रष्टाचार में डूबी हुई है ............
भ्रष्टाचार का अंत करने के लिए हूमें स्वंय से शुरुआत करनी होगी.
haan , aap log theek kah rahe hain .
sabhi sarkaren lipt hain .
kuchh to karana hi hoga.
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