Saturday, January 10, 2009

पति पत्नी और वो ( हास्य व्यंग )

प्रातः की बेला में जब आँख खुली मौसम बड़ा सुहाना था,बर्फीली ठंडी हवा बह रही थी, बादल छाए थे ,लगता था बरसात आ ही जायेगी ,आँखें मिच मिचाकर भू देवी को प्रणाम किया ही था कि पतिदेव को ख़बर लग गई बेगम उठ गई हैं क्योकि उनकी रजाई एक ओर खिची चली गई थी।उठ गयीं क्या ...? बेगम ज़रा तुनक कर बोलीं , उठ गई ! हाँ तो ,ज़रा पानी गरम करदो पीना है, आज बड़ी ठण्ड है , चाय बनालो फ़िर बता देना। बेगम दंदनाकर निकल गयीं । सुबह सुबह शुरू हो जाते हैं, कोई काम नई है पानी गरम करो...चाय बनाओ... ।
इस तरह रसीली सुबह की शुरुवात होती है । एक दुसरे को देखकर ही समझ जाते हैं, अब यह क्या उची देने वाला है या देने वाली है । नाश्ता करने के बाद पतिदेव ने टीवी चला दिया , उनकी आदत है हमेशा ऐसा चैनल ढूँढेंगे ,जहाँ बाबा ऐडम के ज़माने की ढिशुम-ढिशुम वाली फ़िल्म आ रही होगी या तो , धर्मेन्द्र पिट रहा होगा या दिलीप कुमार कोई लंबा डायलोग बोल रहे होंगे या फ़िर उनकी प्राण प्यारी ,प्रिये अभिनेत्री रेखाजी कोई मुजरा पेश कर रही होंगी । तब उनका चेहरा देखिये कितने कौनो से मुस्कराहट फेलती है , क्या-क्या भाव उमड़ते-घुमड़ते हैं अनुमान लगना आसान है।
आँखों की पुटलिया फेल जाती हैं , कभी होंठ दंत पंक्ति पर जाकर रुक जाता है, कभी पेर के ऊपर दूसरा पेर रख जाता है और कभी कनखियों से बेगम को घूर लिया जाता है । बेगम जानती हैं की इस समय फ़िल्म का पूरा रस लिया जा रहा है । आँखें इससे पहले कभी इतना नही हसी होंगी । सीन बदलते ही , पति बोल पड़े , बेगम ! इन रेखाजी के भी क्या कहने हैं , दिन पर दिन जवान होतीं जा रहीं हैं , एक तुम हो बुढापा ओढ़ रही हो ..कुछ तो सीखो।
पति की स्वप्निल आशिकी से तंग आचुकी बेगम बरस पड़ती हैं। हाँ , जबसे शादी करके आई हूँ एक लिपिस्टिक तो लाकर दी नही,ऊपर से बात बनाते हो,पता है ! रेखा का खर्चा कितना है !! तुम जैसे उसके पैर धोकर पीते हैं । हाँ, सो तो है , हम तैयार हैं, टिकिट कटवाले क्या ? हाँ ,मेरी ज़िन्दगी बेकार करदी, अब रेखाजी पर नज़र टिकी है और भनभनाती हुई बेगम रसोई की तरफ़ मुड गयीं।
बात आई-गई होगई, पतिदेव अभी भी टीवी पर आँखें टिकाये बैठे हैं की संजीव कुमार की पति पत्नी और वो देखने लग गए । बड़ा मज़ा आ रहा था, रसोई में जाकर बेगम को मना लिया । अरे ! चलो ना , तुम ही हो मेरी रेखाजी अब मान भी जाओ ,दूसरी फ़िल्म देखते हैं । बेगम फ़िर आ गयीं, दोनों फ़िल्म देखने में इस कदर खो गए कि झगडा तो याद ही नई रहा । पति को वे साड़ी बातें अची लग रही थी जो संजीव कुमार कर रहा था । ऑफिस में अपनी सेक्रेट्री से रोमांस करना , झूंठ बोलना , पत्नी को बीमार बताना और घर आकर अपनी पत्नी से चिकनी चुपडी बातें बनाना । पत्नी बीच-बीच में विद्रोह प्रकट कर रहीं थी , पर उनकी हर बात काटी जा रही थी । पतिदेव के चेहरे पर निहायत धूर्तता के भाव देख कर बेगम को शक हुआ बोली - कुछ जायदा ही रस ले रहे हो ,क्या चक्कर है ? क्या चक्कर वक्कर तुमसे फ़िल्म नहीं देखी जाती । देखो, पत्नी किस तरह पति का इचा कर रही है , इसको शर्म नही आती । तभी पति अपनी प्रेमिका के साथ पार्क में बैठा दिखाई पड़ता है और पत्नी फोटो खीच लेती है ।
अब , पतिदेव का चेहरा सफ़ेद सा हो गया । देखो , यह तो चीटिंग है , पत्नी को पूरा प्यार मिल रहा है..खर्चा मिल रहा है फ़िर समस्या क्या है ? पत्नी इतनी बात सुनकर आग बबूला हो गई । हाँ , तुम पुरषों के लिए कोई समस्या नही । कहीं भी ताजगी देखते ही घूरने लगते हो । हाँ , तो क्या , तुम नही घूरती हो । अरे ! कौन तुमसे बेहेस करे ,पत्नी ने गुस्से में टीवी बंद कर दिया । अब जाने क्या होगा? पति के मुँह से अचानक यह शब्द निकल गए। बेगम ने अपना मुखडा लाल करते हुए कहा- होगा क्या ? घर आकर डंडे खायेगा । पतिदेव के भाव स्पष्ट होते जा रहे थे कि यदि उनके साथ ऐसा हुआ तो क्या होगा ? पत्नी लगातार हस रही थी पति के अचानक शब्दजाल में फस जाने पर और पति अनवरत ठहाके लगा रहे थे यदि इस तरह में फस गया तो बेगम को इतनी आसानी से मूर्ख बना पाउँगा क्या?
बेगम पति के चेहर को पढ़कर हस्ती जा रही थी, वे जानती थी , यह मूर्ख यदि ऐसा करेगा भी तो ,आसानी से पकड़ा जाएगा। क्योकि ज़रूरत से ज़्यादा मोहोब्बत दिखाना इसके बस कि बात नही । पति अपनी जवानी के टूटे-फूटे सपनो में खोते जा रहे थे। पत्नी जानती थी कि पुरूष कितना रसिया होता है । तुम कभी इस वारदात को अंजाम नही दे पाओगे क्योंकि पचपन बरस तो बीत गए अब , कितने बचे होंगे , जालिम !! इतना जहर उगलती हुई बेगम उठीं और चाय बनने चली गईं , वहाँ से पुँछ रही थीं , क्यों जी !! चाय पीओगे ??


-रेनू शर्मा

4 comments:

chopal said...

पति-पत्नी के मध्य के संवादों का चित्रण अच्छा बन पड़ा है।
www.merichopal.blogspot.com

नीरज गोस्वामी said...

बहुत रोचक अंदाज में आपने पति पति और वो का चित्रण किया है...आनंद आ गया...
नीरज

Unknown said...

fir kya huaa..chaay pilai unhen..??

Kavi Pankaj Prasun said...

hi renu
article achchha hai.
nice vyangya.
I am also a poet and vyangya column writer of I-next, attahaas,India today etc.
see my blog--
kavipankajprasun.blogspot.com