Tuesday, September 9, 2008

ब्रह्माण्ड का सच


सरल शब्दों मै कहा जा सकता है कि ब्रह्मांड एक अद्भुद प्राकृतिक संरचना है , जिसे समझ पाना इतना सरल भी नही लेकिन बहुत मुश्किल भी नहीं । कई दिनों से बिग बेंग की बात हो रही है , पहले तो हम यह जाने की बिग बेंग है क्या ? ब्रह्मांड की रचना के समय का धमाका ही बिग बेंग है , जिसमे अरबों परमाणु पूरे ब्रह्मांड मै फ़ैल गए और धीरे - धीरे सृष्टी की रचना हुई । मान लीजिये घुप्प अंधेरे मै , अचानक ब्लास्ट हो , कोटिश : कण बिखर जायें और वह कण अपनी उर्जा , बल , चुंबकत्व के साथ एक दुसरे से जुड़ने लगें , जैसे कि हमारे जींस गडमड होतें हैं ।

इस बात को इस तरह समझा जा सकता है कि मानव शरीर भी एक ब्रह्मांड ही है , मानव शरीर की निर्माण क्रिया भी एक विशिष्ट क्रिया होती है । मानव शरीर के मंथन के सार का सूक्ष्म कण या बिन्दु ही मानव के निर्माण मै विभिन्न मार्ग और तापमान के माध्यम से सहायक होता है या कहें कि ब्रह्मांड रचना का सूक्ष्म अध्ययन हम इसी तरह कर सकते हैं ।

ब्रह्मांड की रचना प्रक्रिया कोई आसन काम नहीं है , आकाश का शून्य पूर्णत : शून्य नही है , अव्यक्त पदार्थों का जाल फैला रहता है , पदार्थ के व्यक्त होने पर एक असीम उर्जा उसका संरक्षण करती है जिसे हम औराभी कह सकतें हैं , पदार्थ को घेर लेती है जैसे हमारे शरीर के चारो ओर एक उर्जा रहती है , इस तरह विशेष कण एक ओर आकर्षित हो जातें हैं , जैसे हम किसी खास व्यक्ति की ओर ही आकर्षित होतें हैं , और एक रचना शुरू हो जाती है ।

दूसरे शब्दों मै कहा जा सकता है कि अनु - परमाणु और उर्जा का शून्य से मिलन जानना ही ब्रह्मांड की रचना प्रक्रिया को जानना है । हमारे ग्रन्थ इन विज्ञानं पहेलियों को सदियों पहले ही सुलझा चुके हैं । श्री मद भगवद्गीता मै श्री कृष्ण ने सब समझा दिया है की ब्रह्मांड क्या है ? हमारा शरीर क्या है ? ब्लैक होल क्या है ? हम उसे जानने का प्रयास ही नही करते ।

आज वैज्ञानिक एक छोटे से प्रयोग के माध्यम से उस परमाणु और पदार्थ की मिलन प्रकिरिया ही जानना चाहतें हैं , हम सूर्या की तेज रौशनी मै उन कणों को देख सकते हैं लेकिन वह कैसे जुड़ता है यह जानना है ।

शायद इस प्रयास से कुछ लोग समझ पायें कि वैज्ञानिक सिर्फ़ एक प्रयोग भर कर रहे हैं ।

रेनू शर्मा ......

1 comment:

संगीता पुरी said...

जानकारी देने के लिए शुक्रिया।