Sunday, July 20, 2008

खोज


हरी चादर के नीचे ,
हम अगरबत्ती जला रहे हैं ,
लंबे लंबे गुम्बदों के नीचे ,
दीवार पर लटके आदमकद में ,
उसे देख रहे हैं ,
दूर रेलवे लाइन के किनारे ,
दाडीवाला बाबा !
मोरपंख हिलाकर ,उसे !!
पाने का रास्ता ,
बता रहा है ,
जाने कितने मोड़ ,
गलियों और चोंराहों पर उसका पता लिखा है ,
पर ,
हम जानते हैं कि ,
वह हमारे पास है ,
हमारी आत्मा में है ,
हमारे विचारों में है ,
हमारे कर्मों में है ,
फिर भी ,
भटक रहे हैं ,
यहाँ -वहाँ उसकी खोज में ...
-रेणू शर्मा

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